इन्तकाम by प्रकाश भारती
Synopsis
‘ग्लोरी रेस्टोरेन्ट’ का बोर्ड लगी औसत दर्जे की उस चाय की दुकान में प्रशांत को मजबूरन रुकना पड़ा। एक मेज पर चाय सुड़कते तीन अधेड़ आदमियों के अलावा अलग थलग बैठी लड़की वहां पहले से मौजूद थी।
सस्ते और पुराने लिबास वाली लड़की खूबसूरत थी। लेकिन रात में बेवक्त और अकेली। प्रशांत को थोड़ा अजीब लगा। फिर जब लड़की ने चाय पिलाने की फरमाइश की तो वह उसमें दिलचस्पी लेने पर विवश हो गया।
चाय की चुस्कीयों के बीच जल्दी ही खुलकर बातें करने लगी। उसका नाम तबस्सुम था। पेशा करती थी। कड़की के दौर से गुजर रही थी...।
उसके प्रति अजीब सा लगाव महसूस करते प्रशांत को अच्छी लड़की लगी... इतनी ज्यादा अच्छी कि उसके साथ बेहूदगी करने वाले एक आदमी की तगड़ी ठुकाई करके पुलिस के हवाले तक कर दिया... साथ ही तबस्सुम को पाँच सौ रुपए और अपना कार्ड देकर नौकरी दिलाने का वादा भी कर दिया ताकि वह पेशा करना छोडकर इज्जत की ज़िंदगी जी सके...।
यह शनिवार का वाकया था। सोमवार की सुबह अखबार में, उसी तबस्सुम की कर द्वारा कुचले जाने से हुई मौत की खबर फोटो समेत छपी देखकर प्रशांत को तेज झटका सा लगा। हैरानी की बात थी लाश की शिनाख्त नहीं हो सकी।
प्रशांत ने पूछताछ की तो पता चला- तबस्सुम की हत्या की गई थी। दूसरी अजीब बात थी- उस रात बेहूदगी करने वाला आदमी प्रमुख समाजसेवी केली बर्टन का बाडीगार्ड था। जिसकी नेकी और उदारता की दर्जनों कहानियां मशहूर थीं।
तबस्सुम के निवास स्थान का पता लगाकर प्रशांत वहां पहुंचा तो चकरा गया वहां बुरी तरह तलाशी ली गई थी। किस चीज की तलाश थी। यह तो पता नहीं चला मगर तलाशी लेने वाले की ओर इशारा करती चीज जरूर मिल गई...।
प्रशांत केली बर्टन से मिला और बेहद प्रभावित हुआ। लेकिन उसके बाडीगार्ड कम- शोफर से फिर तगड़ी हाथापाई हो गई...।
तबस्सुम की गुलिशता ज़िंदगी के बारे में तो कुछ पता नहीं चल सका लेकिन मरने से पहले उसके द्वारा पोस्ट किया गया खत मिल गया...।
प्रशांत ने दृढ़ निश्चय कर लिया तबस्सुम के हत्यारे का पता लगाकर उसकी मौत का इन्तकाम लेकर ही रहेगा...
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